
जीवन के ऊर्ध्वारोहण के लिए शरीर की नहीं आत्मा की उज्जवलता जरूरी है –मुनि श्री उदित कुमार जी” alt=”” width=”300″ height=”46″ class=”alignnone size-medium wp-image-6844″ />
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मुनि श्री मोहजीत कुमार जी ने दी उत्तम नहीं, सर्वोत्तम बनने की प्रेरणा
शांतिदूत महा तपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री उदितकुमारजी एवं सुशिष्य मुनि श्री मोहजीत कुमार जी तेरापंथ भवन सिटीलाइट मैं विराज रहे हैं।
आज विशाल जन मेदिनी को धर्म वाणी का रसास्वादन कराते हुए मुनि श्री उदित कुमार जी ने कहा – कुछ लोग अपने शरीर को स्वच्छ रखने के लिए सजग रहते हैं। वे महंगे साबुन से स्नान करते हैं। कुछ लोग अपने वस्त्रों को स्वच्छ रखने के लिए अत्यंत महंगे वॉशिंग पाउडर का उपयोग करते हैं। शरीर की ओर वस्त्रों की उज्ज्वलता के लिए सजग रहना कुछ अंशों में जरूरी है लेकिन उससे भी अनेक गुना जरूरी है आत्मा की उज्ज्वलता के प्रति सजग रहना।
मुनि श्री ने आगे कहा- आदमी के पास बहुत ज्ञान होता है, उसकी वक्तृत्व कला अच्छी होती है, उसकी लेखन शैली भी अच्छी होती है लेकिन भीतर में अहंकार होता है सरलता नहीं होती है तो उसका कोई मूल्य नहीं है। आदमी कितना पढ़ा है उसके पास कितनी डिग्रियां है मूल्य उस बात का नहीं है। मूल्यवान है व्यक्ति की सरलता और विनम्रता। भगवान भी उसी भक्तों के ऊपर कृपा बरसाते हैं जिसका अंतरमन सरल और पवित्र होता है। जो सरलता को अपनाता है वह स्वत: भगवत्ता को प्राप्त कर लेता है।
मुनि श्री मोहजीत कुमार जी ने कहा- इस दुनिया में दूसरों को गिराने वाले बहुत लोग मिल जाएंगे, लेकिन नीचे गिरे हुए को उठाने वाले- उसे सहारा देने वाले बहुत कम मिलते हैं। आप यदि किसी की अंगुली पकड़ कर मुसीबत में उसका साथ देते हैं तो वह जीवन भर आपका उपकार नहीं भूलेगा। आप कैसे दिखते हैं उसका मूल्य नहीं है आप कितने नैतिक हैं, आपका व्यवहार कितना सरल है उसका मूल्य है। इसलिए आदमी को अधम नहीं बल्कि उत्तम बनना चाहिए। इससे भी आगे कहूं तो उत्तम इन्हीं सर्वोत्तम बनने का लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए। और उसके लिए जरूरी है वह सेवा, समर्पण, भ्रातृत्व एवं परोपकार के गुणों को विकसित करें। मुनि श्री अनंत कुमार जी ने प्राक वक्तव्य में सद्गुणों को विकसित करने की प्रेरणा दी।
*संकलन — अर्जुन मेड़तवाल*
गुजरात प्रभारी — अणुव्रत विश्व भारती
*मिडिया प्रभारी – तेरापंथी सभा, सूरत
आचार्य महाश्रमण प्र.व्य. समिति-सूरत