मेडिसिन को छोड़ना है तो मेडिटेशन को अपनाओ – मुनि निकुंज कुमार

जसोल –

अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के निर्देशन में मुनि निकुंजकुमार ठाणा – 2 के सानिध्य मे सोहनी देवी सालेचा के अध्यक्षता में तेरापंथ महिला मंडल जसोल द्वारा रूपांतरण एक्सप्रेस के अन्तर्गत “ध्यान स्टेशन” पर पहुंच गई कार्यशाला का आयोजन हुआ।

कार्यशाला का शुभारंभ सामुहिक नमस्कार महामंत्र के साथ महिला मंडल के सदस्यों द्वारा मंगलाचरण से हुआ। अध्यक्ष सोहनीदेवी सालेचा ने सबका स्वागत किया व साथ कार्यशाला विषय की सक्षिप्त जानकारी दी। मुनि मार्धवकुमार ने अपने वक्तव्य में बताया कि ध्यान क्या है ? ध्यान के कितने प्रकार है ? आदि के बारे में बताते हुए कहा कि ध्यान एक ज्ञान का विषय है। इसलिए ध्यान के साथ ध्यान को रखा गया है। ध्यान एक ऐसा फर्ज निभाता है जो पर्सनालिटी डेवलपमेंट का अचूक माध्यम है। आर्त, रौद्र ध्यान स्थूल शरीर को प्राभावित करता है, वही धर्म, शुक्ल ध्यान सूक्ष्म शरीर को प्राभावित करता है। कार्यशाला में सभी को संबोधित करते हुए मुनि निकुंजकुमार ने चारो ध्यान के बारे में बताते हुए कहा कि ध्यान व्यक्ति को अभय बनाता है। यदि ” मेडिसिन ” को छोड़ना है तो “मेडिटेशन” को अपनाओ। ध्यान एक ऐसा माध्यम है जो हमेशा साथ रहता है और सुख की अनुभूति कराता है। प्रवचन से परिवर्तन संभव नहीं। इसलिए प्रयोग करे और दुसरो को कराए। दीर्घ श्वास प्रेक्षा का प्रयोग करवाया। अनित्य भावना जैसी अनुप्रेक्षा करने के लाभ भी बताए। आभार ज्ञापित मंत्री ममता मेहता ने किया। सभी की उपस्थिति संख्या सरहनीय रही।

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