PRESS NOTE–सादर प्रकाशनार्थ

 

वर्षीतप की साधना कर्म-मुक्ति की दिशा में ले जाने वाला स्वर्णिम सोपान है — साध्वी श्री लब्धि श्री जी

 

तेरापंथ भवन सिटीलाइट में 225 से अधिक भाई-बहनों ने वर्षीतप साधना का शुभारंभ किया।

अगले वर्ष 2023 में आचार्य श्री महाश्रमण जी के सान्निध्य में सूरत में वर्षी तप पारणाका ऐतिहासिक कार्यक्रम आयोजित होगा।

 

  जैन परंपरा में तपस्या को मोक्ष प्राप्ति का उत्तम साधन माना गया है। तपस्या के विविध प्रकार है – उपवास, आयंबिल, बेला, तेला,अट्ठाई, मास-खमण, वर्षी तप आदि। इन सभी में वर्षी तप की तपस्या का विशिष्ट महत्व है। क्योंकि, इसका संबंध जैनों के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव की साधना के साथ है। भगवान ऋषभदेव ने महाभिनिष्क्रमण के साथ ही 13 महीने तक निराहार रहकर यह तपस्या की। उनकी स्मृति में जैन धर्मावलंबी सतत 13 महीने तक एकांतर तप करके वर्षीतप साधना करते हैं।

अहिंसा यात्रा प्रवर्तक महा तपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धि श्री जी के सान्निध्य में सूरत महानगर के 225 से अधिक भाई बहनों ने आज बड़े ही उत्साह-उमंग के साथ एवं विशेष उल्लासमय वातावरण में अपनी वर्षीतप साधना का शुभारंभ तेरापंथ भवन, सिटीलाइट में किया। तपस्या की यह संख्या आगे और भी वर्धमान हो सकती है। तपस्वियों को एवं उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए साध्वी श्री लब्धि श्री जी ने उपरोक्त बात बताई।

साध्वी श्री ने आगे कहा – गुरुदेव आचार्य श्री महाश्रमण जी अगले वर्ष अर्थात् सन् 2023 में सूरत पधार रहे हैं। उनके सान्निध्य में अक्षय तृतीया पर भव्य वर्षीतप पारणोत्सव का आयोजन होगा। देश भर में वर्षीतप की साधना करने वाले अनेक श्रावक-श्राविका यहां आकर अपनी तपस्या का पारणा करेंगे। आप सभी आज यहां पर वर्षीतप साधना का संकल्प कर रहे हैं वे सभी अपनी साधना का समापन गुरु सन्निधि में करेंगे। वह दिन हम सबके लिए धन्यता का अवसर होगा। जिस प्रकार से आदमी बीमार होता है और उसको दवाई के साथ अनुपान दिया जाता है, उसी प्रकार से कर्म मुक्ति के लिए तपस्या को अनुपान माना गया है। इस साधना द्वारा साधक कर्म मुक्ति की दिशा में मंगल प्रस्थान कर रहे हैं।

साध्वी श्री हेमयशा जी ने कहा – वर्षी तप की तपस्या बहुत कठिन तपस्या है। यह तपस्या करना हर किसी के वश की बात नहीं है।आत्मोद्धार का लक्ष्य बनाने वाले ही यह साधना कर सकते हैं।

साध्वी श्री आराधना श्री जी ने कहा – मेरी प्रथम वर्षीतप की तपस्या मेरे भीतर में वैराग्य भाव का प्रादुर्भाव करने में योगभूत बनी है। यह तपस्या कठिन लगती है लेकिन भोजन में संयम रखोगे तो यह तपस्या आसानी से हो सकेगी।

श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, सूरत के अध्यक्ष श्री हरीश जी कावड़िया एवं महिला मंडल अध्यक्षा श्रीमती राखी बैद ने सभी वर्षीतप तपस्वियों के प्रति मंगल भावनाएं व्यक्त की। महासभा संगठन मंत्री श्री प्रकाश जी डाकलिया, प्रकाश जी सिंघवी, निलेश बाफणा, पारसजी बोथरा आदि ने मंगल गीतों की प्रस्तुति की। कार्यक्रम का कुशल संचालन आचार्य महाश्रमण प्रवास व्यवस्था समिति, सूरत के मंत्री श्री नानालाल जी राठौड़ ने किया।

 

 

संकलन — अर्जुन मेड़तवाल

उपासक प्रभारी , तेरापंथी सभा, उधना (सूरत)

 

पूर्व प्रिन्ट मीडिया विभाग प्रमुख,

अणुव्रत महासमिति, नई दिल्ली

 

दिनांक : 25-3-2021

 

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