सात्विक भोजन से आध्यात्मिक लाभ – ढेलड़िया

जसोल – अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के निर्देशन में तेरापंथ महिला मंडल जसोल द्वारा रूपांतरण शिल्पशाला के अन्तर्गत “आहार” पर कार्यशाला का आयोजन हुआ।

सामूहिक नमस्कार महामंत्र से संगोष्टि का शुभारंभ किया। प्रेरणा गीत से मंगलाचरण। उपाध्यक्ष नितू सालेचा ने मुख्य अतिथि का स्वागत करते हुए आज के विषय के बारे में जानकारी दी। उपासिका मोहनीदेवी संकलेचा ने “जैसा खावे अन्न – वैसा पावे मन” मुहावरे को कहानी के माध्यम से समझाया। मुख्य वक्ता वरिष्ठ श्रावक शंकरलाल ढेलड़िया ने “आहार” के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि आहार ही जीवन है। आहार के बिना कोई भी जीव जीवित नहीं रह सकता। एकेंद्रिय से लेकर पंचेंद्रिय तक सभी जीवों में आहार संज्ञा होती है। मनुष्य को कैसा, कब, कितना आहार लेना चाहिए इस के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि मनुष्य को हित, मित और ऋतु के अनुसार आहार ग्रहण करना चाहिए। राजसिक व तामसिक आहार से जितना संभव हो उतना परहेज करना चाहिए। सात्विक और सुपाच्य भोजन से शारीरिक मानसिक, भावनात्मक, आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है। उनोदरी, रस्परित्याग, कायक्लेश, उपवास एकासंन जैसे छोटे त्याग का पालन करना चाहिए किस पदार्थ के क्या खाना चाहिए, और किस पदार्थ को नहीं जैसी जानकारी भी दी। इस कार्यशाला में “अ.भी.रा.शि.को “जैसे महातपस्वी की तपस्या, संलेखना, संथारे के बारे में बताया। जैसा पिवे पानी – वैसे होवे वाणी” जीव आहार के बिना थोड़ा टाइम जीवित रह सकता है, लेकिन पानी के बिना नहीं रह सकता। पानी कैसे पीना, कब पीना जैसी आदि जानकारी भी दी गई। मंडल मंत्री ममता मेहता ने सब का आभार ज्ञापन किया। बहनों की उपस्थिति अच्छी रही।

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