PRESS NOTE–सादर प्रकाशनार्थ

तेरापंथ एक ऐसा धर्मसंघ है जहां केवल एक गुरु की सरकार चलती है — मुनि श्री मुनिसुव्रत कुमार जी

 

कामरेज में मर्यादा महोत्सव के अवसर पर मुनि श्री आलोक कुमार जी का प्रेरक उद्बोधन : मर्यादाएं ही व्यक्ति या संघ को विकास के शिखर पर पहुंचाती है।

 

महातपस्वी युग प्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री मुनिसुव्रत कुमार जी एवं मुनि श्री आलोक कुमार जी आदि ठाणा 6 के संयुक्त सान्निध्य में श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, कामरेज के तत्वावधान में तेरापंथ भवन, बसेरा सोसायटी, कामरेज में तेरापंथ धर्मसंघ के 158 वें मर्यादा महोत्सव का शानदार आयोजन किया गया।

इस अवसर पर अपने जोशीले उद्बोधन में अपने दीक्षा पर्याय के 50 वर्ष पूर्ण कर चुके मुनि श्री मुनिसुव्रत कुमार जी ने कहा — तेरापंथ एकमात्र ऐसा धर्मसंघ है जहां मर्यादाओं का महोत्सव मनाया जाता है। किसी धर्मनेता या राजनेता का जन्मदिवस या पुण्यतिथि को उत्सव के रूप में मनाने की परंपरा सर्वत्र है लेकिन तेरापंथ में मर्यादाओं का महोत्सव मनाया जाता है। यह प्रणाली अन्यत्र कहीं पर नहीं है। आचार्य भिक्षु ने तेरापंथ धर्मसंघ को दीर्घजीवी बनाने के लिए मर्यादाओं का निरूपण किया। प्रतिवर्ष माघ मास की पंचमी से सप्तमी तक मर्यादा महोत्सव मनाया जाता है। जिनमें प्रत्येक मर्यादाओं का वाचन होता है। तेरापंथ में केवल एक गुरु का अनुशासन है। ऐसा कहा जा सकता है कि यहां केवल एक गुरु की सरकार है। और यही तेरापंथ की विलक्षणता है। उन्होंने तेरापंथ के वर्तमान अधिशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी के निर्देशन एवं अनुशासन की मुक्त कंठों से प्रशंसा की। मुनि श्री ने मर्यादा महोत्सव के अवसर पर स्वरचित गीत की प्रस्तुति की तो समग्र धर्म सभा भक्ति रस में झूम उठी।

मुनि श्री आलोक कुमार जी ने कहा – आचार्य भिक्षु ने पौने तीनसौ वर्ष पूर्व तेरापंथ धर्मसंघ की स्थापना की। उनमें नेतृत्व की असीम क्षमता थी। महान व्यक्ति वह होता है जो अपने शिष्यों के व्यक्तित्व में निखार ला सके। आचार्य भिक्षु कुशल प्रशिक्षक एवं अनुशासक थे। उन्होंने संविभाग का नियम बनाया। सभी के प्रति समभाव रखने की सीख दी। आपसी मतभेदों का शांतिपूर्वक निराकरण हो एवं परस्पर कलर न हो इस हेतु उन्होंने मर्यादाओं का निर्माण किया, जो आज भी सभी के लिए प्रेरणास्पद है।

मुनि श्री मंगल प्रकाश जी ने कहा – अनुशासन और मर्यादाओं का अनुसरण करने वाला व्यक्ति अपने घर को भी स्वर्ग बना सकता है। मुनि श्री लक्ष्यकुमार जी ने कहा – मर्यादा विहीन जीवन डोर से कटी हुई पतंग के समान है। मुनि श्री शुभम कुमार जी ने मर्यादाओं को व्यक्तित्व निर्माण की पृष्ठभूमि बताया। प्रवक्ता उपासक श्री अर्जुन जी मेड़तवाल ने स्वरचित मुक्तकों द्वारा अपने भावों की प्रस्तुति दी। तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री शंकरलाल जी मेहता ने आभार ज्ञापन किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि श्री हेम कुमार जी ने किया।

 

 

कार्यक्रम में कामरेज की तेरापंथी सभा, युवक परिषद, महिला मंडल आदि सभी संस्थाओं के कार्यकर्ता एवं सूरत,उधना, पर्वत पाटिया, कीम, बारडोली, नवसारी, चिखली, बिलिमोरा, ओलपाड एवं दक्षिण गुजरात के अनेक क्षेत्रों के श्रावक श्राविका की विशाल उपस्थिति रही।

 

*संकलन — अर्जुन मेड़तवाल*

*उपासक प्रभारी , तेरापंथी सभा, उधना (सूरत)*

 

*पूर्व प्रिन्ट मीडिया विभाग प्रमुख,*

*अणुव्रत महासमिति, नई दिल्ली*

 

*दिनांक : 6-2-2022*

 

 

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