PRESS NOTE–सादर प्रकाशनार्थ

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जैन सुश्रावक श्री बाबुभाई मेहता की सुदीर्घ संथारा-साधना परिसंपन्न

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जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ के सुश्रावक बाबुभाई की 62 दिवसीय संथारा साधना संपन्न होने पर पालकी यात्रा में श्रद्धालु श्रावक-श्राविका उमड़ पड़े

 

जैन परंपरा में संथारा साधना का विशेष महत्व होता है। संथारे की साधना सर्वोच्च साधना गिनी जाती है। क्योंकि, संथारे की साधना करने वाला साधक संसार की सभी सुख-सुविधाओं का, भौतिक संसाधनों का एवं परिग्रह का त्याग करता है। सभी प्रकार की मोह माया और आसक्ति का त्याग करता है। यहां तक कि अपने परिजनों का ही नहीं, स्वयं के शरीर का ममत्व भी त्याग देता है।पालनपुर के निकट वाव के निवासी एवं पिछले 57 वर्षों से सूरत को अपनी कर्मभूमि बनाने वाले महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण जी के अनुयायी एवं जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्म संघ के सुश्रावक श्री बाबूभाई चिमनलाल मेहता ने 82 वर्ष की अवस्था में स्वेच्छा से आजीवन अनशन करते हुए संथारा साधना संपन्न की। आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धि श्री जी ने गुरु आज्ञा से दिनांक 28 अक्टूबर 2021 को श्री बाबू भाई को संथारा साधना के तिविहार प्रत्याख्यान करवाए। श्री बाबूभाई ने पूर्ण जागृत एवं सचेत अवस्था में संसारा साधना के संकल्प लिए।

  1. पूर्ण अनासक्ति एवं निरंतर उच्च आध्यात्मिक भाव के साथ उन्होंने दिनांक 28 दिसंबर 2021 मंगलवार को दोपहर 3:45 बजे अपनी संथारा साधना संपन्न की। श्री बाबुभाई मेह़ता की 62 दिवसीय सुदीर्घ संथारा साधना संपन्न होने पर मृत्यु भी मानो महोत्सव बन गया। दिनांक 29 दिसंबर को प्रातः 7:15 बजे उनकी पालकी यात्रा उनके निवास स्थान चांसलर अपार्टमेंट, रिंग रोड से प्रारंभ होकर वनिता वि्श्राम, अठवा गेट, पार्ले पॉइंट होते हुए उमरा स्मशानभूमि पहुंची जहां पर पवित्र साधकों के लिए निर्मित विशेष स्थान पर उन्हें परिजनों द्वारा एवं समाज के अग्रणीयों द्वारा मुखाग्नि दी गई। उनकी पालकी यात्रा में विशाल संख्या में श्रद्धालु श्रावक श्राविकाएं उपस्थित रहे। मार्ग में अनेक धार्मिक जनों ने उनके पार्थिव देह के अंतिम दर्शन करते हुए श्रद्धांजलि समर्पित की।

उनकी संपूर्ण संथारा साधना में साध्वी श्री लब्धि श्री जी एवं उनकी सहवर्ती साध्वी गण का सतत सान्निध्य, प्रेरणा ने उन्हें संबल प्रदान किया।

ध्यातव्य है कि श्री बाबुभाई ने सन् 1964 से सूरत को अपनी कर्मभूमि बनाया था। पिछले 57 वर्षों से वे तेरापंथ जैन धर्मसंघ की सेवा में सेवारत थे। संघ एवं संघपति के प्रति उन्हें प्रगाढ़ आस्था थी। वे नियमित सामायिक-स्वाध्याय, त्याग-तपस्या आदि करते थे। लगभग 25 वर्षों तक वे श्रावकों को सामूहिक प्रतिक्रमण करवाते थे। वे तत्वज्ञ श्रावक थे। तेरापंथी सभा के अनेक पदों पर उन्होंने अपनी सेवाएं प्रदान की। उन्हें अनेक धार्मिक क्रियाएं, धार्मिक पाठ एवं आध्यात्मिक भजन-गीत आदि कंठस्थ थे।

 

 

*संकलन — अर्जुन मेड़तवाल*

*उपासक प्रभारी , तेरापंथी सभा, उधना (सूरत)*

 

*पूर्व प्रिन्ट मीडिया विभाग प्रमुख,*

*अणुव्रत महासमिति, नई दिल्ली*

 

दिनांक : 29-12-2021

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