*मुनि श्री मुनिसुव्रत कुमार जी की दीक्षा की स्वर्ण जयंती (50 वें दीक्षा दिवस) के उपलक्ष्य में रविवार को विशेष कार्यक्रम का आयोजन होगा*
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तेरापंथी सभा पर्वत पाटिया के द्वारा माहेश्वरी भवन, आई माता रोड पर दिनांक 31 अक्टूबर को विशिष्ट कार्यक्रम
भारतीय संस्कृति में दीक्षा अर्थात् संन्यास का विशेष महत्व रहा है।उसमें भी जैन परंपरा में तो दीक्षा अर्थात् संन्यस्त अवस्था को कर्म निर्जरा एवं मोक्ष प्राप्ति का महान हेतु माना गया है। संन्यास लेना कोई सामान्य बात नहीं है। संन्यास वही ले सकता है जो समस्त सांसारिक सुविधाओं का सर्वथा त्याग कर भागवती दीक्षा अंगीकार करता है। दीक्षा वही व्यक्ति ले सकता है जिसने अहंकार और ममकार का त्याग कर दिया है, जिसने धन-दौलत, वैभव विलास एवं सभी आसक्तियों का परित्याग किया है। इतना ही नहीं जैन भागवती दीक्षा वही धारण कर सकता है जिसने समस्त पारिवारिक संबंधों का भी विच्छेद कर लिया है।
तेरापंथ जैन धर्म संघ के 11 वें अधिशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री मुनिसुव्रत कुमार जी ने आज से 50 वर्ष पूर्व तेरापंथ के नवम अधिशास्ता आचार्य श्री तुलसी के कर कमलों द्वारा जैन भागवती दीक्षा अंगीकार की थी। किसी भी जैन संत के लिए 50 वर्ष का दीक्षा पर्याय पूर्ण करना यह अपने आप में विशिष्ट गौरवपूर्ण घटना माना जाता है।
मुनि श्री के दीक्षा पर्याय के 50 वर्ष पूर्ण होने पर श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, पर्वत पाटिया द्वारा विशेष कार्यक्रम का आयोजन माहेश्वरी भवन, डी. आर. वर्ल्ड के पास, आई माता रोड, पर्वत पाटिया पर किया जा रहा है। तेरापंथी सभा पर्वत पाटिया के अध्यक्ष श्री कमल जी पुगलिया ने बताया कि दिनांक 31 अक्टूबर रविवार को प्रातः 9:15 बजे से आयोजित होने वाला यह कार्यक्रम पूज्य गुरुदेव के इंगित एवं दिशा निर्देशों के अंतर्गत आयोजित होगा, जिसमें मुनि श्री मुनिसुव्रत कुमार जी स्वामी विशेष उद्बोधन प्रदान करेंगे। इस अवसर पर उनके सहवर्ती संत मुनि श्री मंगल प्रकाश जी एवं मुनि श्री शुभम् कुमार जी श्रद्धेय मुनि श्री के दीक्षा पर्याय के रोचक अनुभव एवं प्रेरक प्रसंगों से युक्त प्रवचन फरमाएंगे।
*संकलन : अर्जुन मेड़तवाल*
*(प्रवक्ता उपासक)*
*दिनांक : 29-10-2021*
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