
जैन धर्म-दर्शन की प्रासंगिकता“ पुस्तक का विमोचन
जैन दर्शन के सिद्धांत राष्ट्र निर्माण के लिए अतुलनीय: महेन्द्र पाटनी
लाडनूं 24.07.2021(शरद जैन ‘सुधान्शु’) स्थानीय श्री दिगम्बर जैन बड़ा मंदिर के प्रवचन सभागार में “जैन धर्म तथा दर्शन की प्रासंगिकता“ पुस्तक का विमोचन दिनांक 24.07.2021, शनिवार को दिगम्बर जैन समाज, लाडनूं के अध्यक्ष सुरेश कासलीवाल एवं वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता उद्योगपति सी.ए. महेन्द्र पाटनी, लाडनूं-निवासी, कोलकाता-प्रवासी श्रावकश्रेष्ठी नरेंद्र बाकलीवाल, कोलकाता एवं जैन दर्शन के मनीषी डॉ सुरेन्द्र जैन, लाडनूं द्वारा किया गया। पुस्तक की संपादिका डॉ मनीषा जैन ने पुस्तक का परिचय देते हुए कहा कि उक्त पुस्तक में विषयांतर्गत देश के वरिष्ठ विद्वानों के आलेखों को उक्त पुस्तक में समाहित एवं संकलित कर किया है। जिसे क्रमशः पांच खण्डों में दर्शन, आचार, समाज और संस्कृति, जैन दर्शन और विज्ञान एवं जैन दर्शन और स्वास्थ्य में विभक्त किया है।
पुस्तक विमोचन करता सी.ए. महेन्द्र पाटनी ने कहा कि उक्त पुस्तक में लगभग सभी प्रासंगिक विषयों को समाहित कर कुशल संपादन किया है। डॉ मनीषा जैन उक्त पुस्तक के संपादन के लिए बधाई की पात्र हैं। उन्होंने कहा कि जैन दर्शन के सिद्धांत राष्ट्र निर्माण के लिए अतुलनीय है, बशर्ते इन सिद्धांतों को अंगीकार किया जाए। चरित्र निर्माण, राष्ट्र निर्माण एवं स्वास्थ्य समाज के निर्माण में जैन सिद्धांतों को महती आवश्यकता है। जैसे अहिंसा, शाकाहार, अनेकांतवाद, अपरिग्रहवाद और स्यादवाद आदि हैं।
अध्यक्ष सुरेश कासलीवाल ने कहा कि जैन विद्वानों को जैन समाज के बहुमूल्य सिद्धांतों को निःस्वार्थ भाव से प्रचारित एवं प्रसारित करने की आवश्यकता है। युवा वर्ग को बताना होगा कि द्वादशांग जिनवाणी सामाजिक बुराइयों को समाप्त कर मोक्षमार्ग प्रशस्त करती है। वहीं जैन दर्शन के मनीषी डॉ सुरेंद्र जैन ने कहा कि शाकाहार, रात्रि भोजन त्याग, संयमित जीवनशैली और अपरिग्रह हमारे सुखद जीवन का आधार स्तंभ है। डॉ मनीषा जैन द्वारा किया गया यह संपादन कार्य शोधार्थियों, विद्यार्थियों एवं जिज्ञासुओं के लिए अत्यन्त उपयोगी है।
तदोपरांत पाटनी परिवार, कोलकाता द्वारा धर्मनिष्ठ स्व. श्री हुक्मीचंद एवं स्व. श्रीमती छागनीदेवी पाटनी की स्मृति में सी.ए. महेन्द्र पाटनी ने पुस्तक के कुसल सम्पादन के लिए डॉ मनीषा जैन को 11,000 हजार रुपए की नगद राशि, प्रशस्ति पत्र द्वारा पुरस्कृत किया। इस अवसर पर महेन्द्र सेठी, सुभाष जैन, सुशील बड़जात्या आदि ने पुस्तक की सराहना की।
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